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कश्मीर में नया डोमेसाइल कानून

72 वर्षों से अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे लोगों को न्याय

जम्मू कश्मीर में नया डोमेसाइल कानून लागू हो गया है। जिसे लेकर पाकिस्तान बहंुत शोर मचा रहा है। उधर इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी ने भी इस कानून को लेकर कुछ टिप्पणियां की हैं। इन देशों का कहना है कि भारत ने कश्मीर में नया डोमेसाइल कानून बनाकर संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। पाकिस्तान ने यहां तक कह दिया कि वह इस कानून को मान्यता नहीं देता। यही नहीं पाकिस्तान लगातार दुष्प्रचार कर भी कर रहा है  कि भारत अपनी मनमानी को सही सिद्ध करने और कश्मीर घाटी में हो रहे संघर्षों के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार बताकर उस पर कभी भी हमला भी कर सकता है।

लेकिन वास्तविकता क्या है। किस तरह भारत ने जम्मू कश्मीर में नए डोमेसाइल कानून लगाने के लिए पूरी तरह संविधान सम्मत और अपने अधिकार के दायरे में कदम उठाया है। इसकी पूरी जानकारी यहां प्रस्तुत है।

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की सरकार ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 और जम्मू-कश्मीर सिविल सर्विसेज अधिनियम (Decentralization and Recruitment) 2010 के खंड 15 द्वारा प्रदत्त शक्तियों को का उपयोग करते हुए नए डोमेसाइल प्रमाणपत्र बनाने के लिए नियम अधिसूचित किए हैं। इन नियमों को जम्मू एंड कश्मीर ग्रांट ऑफ डोमेसाइल सर्टिफिकेट (च्तवबमकनतम) रूल्स 2020 का नाम दिया गया है।

18मई 2020 को जारी इस अधिसूचना में निम्न प्रावधान किए गये  –

  1. वे लोग इस प्रमाणपत्र के अधिकारी होंगे जो 15 वर्षों से केंद्र शासित प्रदेश में रह रहे हो, या फिर जिन्होंने जम्मू कश्मीर में रहकर 7 वर्षों तक पढ़ाई की हो और 10वीं या 12वीं की परीक्षा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के किसी स्थानीय शिक्षण संस्थान में दी हो।
  2. राहत और पुनर्वास आयुक्त (माइग्रैंट) कार्यालय में पंजीकृत सभी प्रवासी और विस्थापित भी इस डोमेसाइल प्रमाणपत्र के अधिकारी होंगे।
  3. केंद्र सरकार के अधिकारी, अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों, सार्वजनिक उपक्रमों, केंद्र सरकार के स्वायत्त संस्थानाओं, वैधानिक निकायों के अधिकारी, सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों, केंद्रीय विश्वविद्यालय के अधिकारी और केंद्र सरकार के मान्यता प्राप्त शोध संस्थान के अधिकारियों व कर्मचारियों के बच्चे भी इस डोमेसाइल प्रमाणपत्र के अधिकारी होंगे, जिन्होंने 10 साल तक जम्मू कश्मीर में अपनी सेवाएं दी हो।
  4. उन लोगों के बच्चे भी इस श्रेणी के हकदार होंगे, जो इस अधिसूचना के नियमों को पूरा करते हो।
  5. इस अधिसूचना के दायरे में वे बच्चे भी शामिल किए गए हैं जो किन्ही नौकरियों या अन्य व्यवसायिक कारणों से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर से बाहर रह रहे हो, पर उनके माता-पिता इस अधिसूचना में वर्णित अनिवार्य नियमों को पूरा करते हो।

उल्लेखनीय है कि 5 अगस्त 2019 से पूर्व जम्मू कश्मीर एक राज्य था और इसे धारा 370 के तहत विशेष दर्जा भी प्राप्त था। संविधान की धारा 35ंए के तहत यह तय होता था कि कौन व्यक्ति इस राज्य का निवासी है और कौन नहीं। उसी के आधार पर नौकरी के लिए योग्य माना जाता था।

जब 5 अगस्त 2019 को भारतीय संसद के दोनों सदनों ने अस्थाई धारा 370 और धारा 35ंए को निरस्त कर दिया तो इन धाराओं के समाप्त होते ही जम्मू-कश्मीर भी पूर्णरूपेण इस देश के संघीय ढांचे का अंग बन गया। राज्य का पुनर्गठन करजम्मू कश्मीर और लद्दाख 2 केंद्र शासित प्रदेश बना दिए गए। पर कुछ समय तक केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में पुराने ही कानून चलते रहे। बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 31 मार्च 2020 को राज्य के 29 कानूनों को निरस्त कर जम्मू कश्मीर के 109 कानूनों को संशोधित कर दिया था और इन्हीं संशोधित कानूनों में एक कानून था जम्मू एंड कश्मीर सिविल सर्विसेज  एक्ट 2010 । जो पूर्व राज्य जम्मू कश्मीर के स्थानीय निवासी होने की संज्ञा को परिभाषित करता था।

डोमेसाइल प्रमाणपत्र से जहां केंद्र शासित प्रदेश के निवासियों के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान की गई, वहीं पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों, व बाल्मीकि समाज के लोगों को भी यहां की नौकरियों तथा चल अचल संपत्ति के अधिकार दिए गए। यह वही लोग हैं जो लगभग 72 वर्षों से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे। गत 72 वर्षों से पश्चिमी पाकिस्तान से आए हुए शरणार्थी जो इस राज्य में रह रहे थे, उन्हें न तो पहले की विधानसभा में मत देने का अधिकार था ना वह इस जम्मू कश्मीर के नागरिक माने जाते थे। केवल वह संसदीय चुनावों में ही भाग लेते थे।

ऐसी ही स्थिति बाल्मीकि समाज की भी थी। इस समाज के लोग यहां अपनी सेवाएं तो दे रहे थे, पर जम्मू कश्मीर के निवासी होने उन्हें हक प्राप्त नहीं था। इस डोमेसाइल से लाभार्थी यहां के केंद्रीय कार्यालय संस्थानों में कार्य कर रहे अधिकारी व कर्मचारियों के परिवार होंगे।

दरअसल इस डोमेसाइल प्रमाणपत्र के विरोध में वे लोग या पार्टियां ही हैं ,जो धारा 370, 35एं को बनाए रखने और जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन ना होने देेने के पक्ष में हैं। पाकिस्तान तो भारत के विरोध पर ही टिका हुआ है।

पाकिस्तान को कहां पचने वाला है कि अब न केवल जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया है, वरन उसके अवैध कब्जे सें  गिलगित, बलूचिस्तान व मुजफ्फराबाद समेत वह सभी क्षेत्र केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के स्थाई अंग है जिनका तत्कालीन महाराजा हरिसिंह ने भारतीय संघीय ढांचे में पूर्ण विलय किया था।

कश्मीर में भी नए डोमेसाइल कानून का स्वागत हो रहा है। पीडीपी से अलग हुए अल्ताफ बुखारी की पार्टी ने इस कानून का स्वागत किया है। क्योंकि इस कानून से स्थानीय नागरिकों को ही फायदा है। जो लोग राज्य की सेवा लगातार कर रहे हैं उन्हें वहां की नागरिकता मिलनी ही चाहिए।

 

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