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चीन ने खत्म की हांगकांग की स्वायत्ता, विरोधियों को होगी उम्र कैद की सजा

1997 में ब्रिटेन ने जब हांगकांग को चीन के हवाले किया था, तो इस शर्त के साथ कि हांगकांग अपनी स्वतंत्र पहचान और प्रशासन में स्वायत्ता बनाए रखेगा और चीन इसमें कोई दखल नहीं देगा। लेकिन 30 जून आधी रात के समय चीन ने नेशनल सिक्योरिटी लाॅ लागू कर इस शर्त को खत्म कर दिया।

अब हांगकांग पर बीजिंग का शासन होगा और चीन जिसे चाहेगा हांगकांग से उठाकर चीन ले जाएगा और वहां मुकदमा चलाएगा। चीन अलगाववाद, तोड़फोड और आतंकवाद का मुकदमा चलाकर अपने विरोधियों को उम्र कैद की सजा भी दे सकेगा।
चीन की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पाटी ने मई में ही इस कानून की मंजूरी दे दी थी, जिस पर 30 जून को सुप्रीम काउसिंल ने मुहर लगाकर प्रेसिडेंड शी जिनपिंग को भेज दिया था। शी जिनपिंग ने 30 जून को ही इस पर हस्ताक्षर कर दिया और इसे आधी रात के बाद लागू भी कर दिया गया।

1997 में जब हांगकांग को चीन के अधीन किया गया तो उस समय एक व्यवस्था बनाई गई, जिसे वन नेशन टू सिस्टम का नाम दिया गया। यानी हांगकांग भले ही चीन का हिस्सा कहलाएगा, लेकिन उसका सिस्टम स्वतंत्र और चीन से अलग होगा। लेकिन पूरी दुनिया के विरोध के बावजूद चीन ने हांगकांग के लिए अलग से नेशनल सिक्योरिटी लाॅ को लागू कर उस वन नेशन टू सिस्टम को प्रैक्टिकली खत्म कर दिया।

1 जुलाई,2020 से लागू नेशनल सिक्योरिटी लाॅ के तहत अब चीन हांगकांग में मेनलैंड सिक्योरिटी   आॅफिस खोलेगा। अपना फोर्स भेजकर जब चाहे वह लोकल विरोध का दमन कर सकेगा। अलगाववाद, तोड़फोड और आतंकवाद के लिए दोषी लोगांे के लिए अलग कोर्ट की स्थापना कर सकेगा और सबसे बड़ी बात हांगकांग मंे इस तरह के अपराध का आरोप लगाकर वह किसी को भी मेन लैंड चीन में प्रत्र्यापण भी कर सकेगा। चीन इस नेशनल सिक्योरिटी कानून के तहत न्यूनतम तीन साल तक और अधिकतम उम्र कैद की भी सजा दे सकेगा। 

इस नेशनल सिक्योरिटी लाॅ में सबसे खतरनाक प्रोविजन यह है कि आर्टिकल 54 के तहत चीन का विदेश मंत्रालय वहां एक कमिश्नर आॅफिस सेटअप करेगा जो इस कानून के लागू करने में हांगकांग के प्रशासन को दिशा निर्देश देगा। विदेश मंत्रालय का यह कमिश्नर आॅफिस विदेशी लोगों या इनटिटी पर विशेष ध्यान रखेगा और हांगकांग से काम कर रहे मीडिया हाउस को भी रेगुलेट करेगा। यानी जिस तरह चीन में मीडिया पर सेंसर है अब हांगकांग में भी सेंसर होगा। नये कानून के तहत विदेश मंत्रालय के इस कमिश्नर आॅफिस का निर्णय अंतिम होगा, ना तो इसके निर्णय की समीक्षा होगी और न इसके निर्णय को कोई चुनौती दे सकेगा।

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