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चीन-यूएस के बीच कोरोनावायरस वैक्सीन को लेकर नया युद्ध

क्या गरीब देशों को  मिलेगा वैक्सीन

कोरोना वायरस का प्रकोप चरम पर है । इस समय 30 लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हैं और दो लाख  20 हजार सेअधिक लोगा जान गवा चुके हैं।

कोरोना ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है । हर देश इससे निजात पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है , क्योंकि केवल यह मानव जीवन के लिए खतरा नहीं है,  बल्कि इससे अर्थव्यवस्था तबाह हो रही है और धीरे-धीरे विश्व खाद्य संकट की ओर जा रहा है । यूएनओ ने इसे लेकर चेतावनी जारी कर दी है । इस बीच अमेरिका और चीन ने एक दूसरे पर कोरोना फैलाने का आरोप लगाने के साथ-साथ कोरोनाा वायरस के लिए वैक्सीन बनाने का काम भी युद्ध स्तर पर चला रखा है, बल्कि यूं कहें कि दोनों देशों के बीच कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए वैक्सीन  बनाने के मामले में भी युद्ध जैसी स्थिति बन गई है ।अभी तक  कोरोना वायरस के वैक्सीन से जुड़े 7 पेटेंट के लिए  दावे किए गए हैं उनमें से तीन अमेरिकी की ओर से तीन चीन की ओर से किए गए हैं ।

डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इस समय लगभग 86 कंपनियों द्वारा वैक्सीन बनाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन सफलता किसे मिलता है यह देखने वाली बात है । ब्रिटेन , फ्रांस जर्मनी और भारत जैसे देश भी कोरोना  वायरस के वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं । अब सवाल यह उत्पन्न होता है अगर वैक्सीन बन गया तो गरीब  देशों को समय से प्राप्त हो सकेगा । यह सवाल तीसरी दुनिया के लगभग सभी देशों के सामने हैं,  क्योंकि पेटेंट कराने वालों में  अमेरिका और चीन के संस्थान  सबसे आगे हैं। इसलिए उनके हाथ में यह अधिकार होगा कि पहले वैक्सीन किसे मिलता है?

वैसे चीन और अमेरिका दोनों  कोरोना से प्रभावित सबसे बड़े देशों में शामिल हैं । अमेरिका में तो कोरोना से मौत की संख्या 50000 से भी अधिक हो गई है , जबकि चीन के बारे में सही-सही अंदाजा किसी को नहीं है , क्योंकि चीन पर मौत छुपाने का  आरोप है ।

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जो वैक्सीन तैयार किए जा रहे हैं उसके लिए भारी निवेश किया जा रहा है। एक बार वैक्सीन तैयार होने, मानव पर इसका प्रभाव के आकलन और ड्रग अथॉरिटी से परमिशन मिलने के बाद इसका उत्पादन किया जा सकता है । चीन  में अकेले 140 करोड़ लोग हैं,  तो अमेरिका में लगभग 25 करोड । कोई भी कंपनी इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीन बनाने की क्षमता नहीं रखती। इसलिए इस वैक्सीन के इजाद के बाद पूरी दुनिया में इसे लेकर अरबों डॉलर के कारोबार होने की संभावना है।  चूंकि 5 बड़े देश अर्थव्यवस्था के हिसाब से भी सुपर पावर हैं,इसलिए  वैक्सीन पहले इन्हीं देशों में  पहुंचेगा और उसके बाद ही बाकी दुनिया के सामने इसे लाया जाएगा ।

कोरोना  पर बने अमेरिकी टास्क फोर्स के  सदस्य डाॅक्टर एंथोनी फाॅसी remdesivir को लेकर काफी आश्वस्त हैं और कोरोना के इलाज के लिए भी पेटेंट कराना चाहते हैं । remdesivir को अमेरिका ने इबोला के इलाज के लिए विकसित किया था।

अमेरिकी अखबार दि न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि जिस तरह से स्वाइन फ्लू का वैक्सीन तैयार होने के बाद विकसित देशों तक ही उसकी पहुंच सीमित  रखी गई, और बाकी दुनिया के देश को यह प्राप्त नहीं हो सका उसी तरह से कोरोनाा यरस के वैक्सीन का उपयोग पहले बड़े देश करेंगे उसके बाद ही किसी को प्राप्त होगा । न्यूयॉर्क  टाइम्स आगे लिखता है की सबसे बड़ा खतरा यह है कि  धनी देश यह वैक्सीन पहले खरीद लेंगे और जब तक उनके यहां सभी को इसका टीका नहीं लग जाता,  वे इस वैक्सीन के निर्यात पर रोक लगाए रखेंगे । संभावना यह भी है कि जो कंपनी इस वैक्सीन का इजाद करेगी वह भी इसके उत्पादन  पर अंकुश लगाए रखेगी   ताकि अधिक से अधिक पैसा मिल सके और सबसे अधिक बोली लगाने वाली कंपनी को बेचा जा सके।

हालांकि इस समय कोविड-19 से बचाव के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है  लेकिन यूरोप  अमेरिका और चीन की कंपनियां लगातार यह दावा कर रही है कि वे वैक्सीन को खोजने के काफी करीब हैं ।यूरोपीय नेताओं ने वर्ल्ड कम्युनिटी को आश्वासन दिया है कि अगर उन्होंने कोविड-19 वैक्सीन की खोज कर ली तो जरूरतमंदों को इसे उपलब्ध कराने के लिए पूरी दुनिया में लाइसेंस जारी कर देंगे लाइसेंस जारी करेंगे । लेकिन यही बात चीन और अमेरिका के बारे में  नहीं कहा जा सकता है । इन दोनों देशों के बीच 2018 से ही ट्रेड वार जारी है और कोरोना वायरस के वैक्सीन को लेकर भी युद्ध की स्थिति बनी हुई है । विशेषज्ञों का मानना है यदि चीन या अमेरिका दोनों में से पहले किसी ने कोरोना वायरस के वैक्सीन की खोज कर ली वे एक दूसरे के खिलाफ इसका उपयोग करेंगे । इन दोनों देशों के बीच अभी से ही तनाव चरम पर हैं।

चीन इस समय अपनी विश्वसनीयता पूरी तरह खो चुका है , इसलिए लोगों को डर है चीन ने वैक्सीन तैयार कर लिया तो उसे दुनिया के सामने आते आते काफी समय बीत जाएगा ।तब तक दुनिया का संकट न जाने कितना बढ़ जाएगा।

BIKRAM UPADHYAY
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