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जावेद के पीछे का ‘‘अख्तर’’

लेखक और गीतकार जावेद अख्तर आज कल अपने गजलों और गीतों से कम अपने ट्वीट से ज्यादा चर्चा में रह रहे हैं। अपने को नास्तिक कहलाना पसंद करने वाले जावेद जिस तरह मजहबी द्वेष की भाषा और तर्क पेश कर रहे हैं उससे तो यही लगता है कि उनके उदार चेहरे के पीछे कहीं न कहीं सांप्रदायिक ‘‘ अख्तर’’ छिपा है।

 

दिल्ली दंगे में उनके दो ट्वीट तो बेहद ही सांप्रदायिक और सौहार्द बिगाड़ने वाले हैं। जैसे एक ट्वीट में उन्होंने दिल्ली में बलवे और दंगे के लिए सभी को कपील मिश्रा बताने की कोशिश की और दूसरे ट्वीट में दंगे भड़काने, हत्या के मामले में आरोपी होने और अपने घर में बम और एसीड जैसी चीजे इक्टठा करने के आरोपी ताहिर का बचाव करते हुए लिखा कि चूंकि उसका नाम ताहिर है इसलिए उस पर दिल्ली पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई की है। जबकि हकीकत यह है कि दिल्ली पुलिस उत्तर पूर्व दिल्ली में दंगे के मामले में 48 एफआईआर दर्ज किए हैं और 130 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है और 400 से अधिक को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।

सोशल मीडिया पर जावेद अख्तर के ट्वीट को लेकर काफी गुस्सा है। हजारों ट्वीट हैसटेग जावेद अख्तर के नाम से किए गए हैं जिनमें, उन्हें ना जाने क्या क्या कहा गया है। लेकिन ज्यादातर ट्वीट में यह कहा गया है कि जावेद अख्तर का नजरिया बेहद तंग और मुस्लिम परस्त है। लोगों ने सवाल किया कि कपिल मिश्रा का बयान तो जावेद अख्तर को याद है लेकिन गोली चलाने वाले शाहरूख पर कुछ कहना उन्हें याद नहीं रहा।

जावेद अख्तर भले ही अपने को उदारवादी, नास्तिक और सेकलुर कहें लेकिन उनकी गतिविधियां, उनके विचार और उनके ट्वीट उन्हें इन उपमाओं से दूर ले जाकर सिर्फ मोदी या आरएसएस विरोधी मानसिकता का व्यक्ति सिद्ध करते हैं। वे देश के टुकड़े करने वालों के हिमायती और आजादी का विदू्रप मायने निकालने वाले जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के चुनाव प्रचार में जाते हैं, वे जेएनयू के हाॅस्टल में हुए दंगे के लिए बीजेपी और आरएसएस को दोषी बताते हैं, वे सीएए के खिलाफ सभाओं में शामिल होते हैं, वे अयोध्या में राममंदिर के निर्माण पर विरोध जताते हैं वहां एक राष्ट्रीय संग्रहालय बनवाने की पैरवी करते हैं, वे गुजरात के दंगे को संघ का प्रयोगशाला बताते हैं, वे आतंकवाद से लड़ने के लिए बनाए गए कानून पोटा या टाडा को अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताते हैं, वे यह अल्पसंख्यकों को यह कह कर डराते हैं कि संघ उन्हें दोयम दर्जे के नागरिक बनाने का विचार रखता है।

सैकड़ों पुरस्कारों व सम्मानों से नवाजे जा चुके जावेद अख्तर को इसी देश ने राज्यसभा का सदस्य बनाया। उन्हें पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। फिर भी वह यह कहते हैं कि भाजपा या संघ की मुसलमानों से उनकी वोटिंग राइट छिनने की मंशा है। क्या है यह जावेद साहब!

IIW

 

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