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इनफार्मेशन वार में चीन कर रहा हमारा इस्तेमाल

 ट्विटर ने चीन के लगभग पौने दो लाख अकांउट बंद कर दिए

BIKRAM UPADHYAY ( IIW), 15, JUNE, 2020

आप माने न माने हम सब इस इनफार्मेशन वार के टूल्स हैं। हम जितना ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं, उससे ज्यादा ऐप हमारा इस्तेमाल कर रहा है। जरूरी है कि हम सतर्क रहे। सतर्क ही नहीं रहे, हम भी इनफार्मेशन वारियर बने। चीनी ऐप पर डांस करने, मुंह बनाने या मजाक का वीडियो अपलोड करने से ज्यादा हमें करेक्ट इनफार्मेशन वार आगे बढ़ाने का काम करना चाहिए। हमें लोगों को यह भी बताना चाहिए कि पूरी दुनिया कैसे आपका इस्तेमाल कर रही है। कोई अपना प्रोडक्ट बेच रहा है तो कोई अपने हित के विचार हमारे दिगाम में भर रहा है। सावधान  रहें।

एक खबर है – ट्विटर ने चीन के लगभग पौने दो लाख अकांउट बंद कर दिए हैं। आरोप है कि चीन के सोशल मीडिया हैंडलरों ने चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी और वहां की सरकार के पक्ष में पूरी दुनिया में माहौल और राय बनाने में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था, जबकि कुछ समय पहले तक ना तो चीनी सेना और ना वहां के अधिकारी ही ट्विटर का उपयोग कर रहे थे, बल्कि यों कहें कि चीन में फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर रोक लगी हुई थी।

जैसे ही वुहान में कोविड 19 का जन्म हुआ और पूरी दुनिया उसकी चपेट में आ गई, चीन सतर्क हो गया। इसके पहले कि पूरी दुनिया कोविड 19 के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराती, उसके खिलाफ कोई मोर्चा बनाती, चीन ने अपने सूचना तंत्रों के जरिए दुनिया को कन््फयूज्ड कर दिया कि कोरोना को चीन ने फैलाया है.

कोरोना वायरस को पैदा करने और पूरी दुनिया में इसके फैलने तक सूचनाओं पर सेंसर रखने का आरोप चीन पर अब भी लग रहा है और इस आरोप को लगाने वाला सबसे मुखर देश अमेरिका है। यहां तक कि इस कारण दोनों के बीच युद्ध जैसी स्थिति हो गई है। लेकिन पारंपरिक युद्ध होने से पहले एक युद्ध पहले से ही चल रहा है जिससे दुनिया इनफार्मेशन  वार कहती है।

इनफार्मेशन वार मतलब सूचनाओं की बमबारी। कहावत है कि एक झूठ को सौ बार बोलो तो वह सच लगने लगती है। चीन यही कर रहा है। उसने दुनिया में यह बहस छिड़वा दी कि वुहान में कोरोना वायरस अमेरिकी मिलिट्री लेकर आई है।

इनफार्मेशन वार दरअसल चीन ने अमेरिका से ही सीखा है। जिस तरह से 1990-91 के दौरान खाड़ी युद्ध को दुनिया को केमिकल वैपेने से बचाने का एक नैरेटिव बनाकर अमेरिका ने जीता उससे चीन की आंखें खुल गई और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी इनफार्मेशन टेक्नोलाॅजी और नैरेटिव ब्लिडिंग की नीति पर चल पड़ी।

चीन ने अपनी सेना को इनफार्मेशन वार में उतारने का नाम दिया रेवोलुशन इन मिलिट्री अफेयर्स। चीन ने इस वार में महारत हासिल करने और अपनी सेना को मजबूत बनाने में बहुत भारी निवेश किया। इसमें कोई दो राय नहीं कि चीन ने काफी हद तक अपने गोल को एचीव भी किया। पूरी दुनिया इस बात अभी भी आश्चर्य कर रही है कि आखिर जिस कोविड 19 ने लगभग सभी देशों और राज्यों में गदर मचा रखा है वह चीन में कैसे वुहान तक सीमित रहा और चीन से गायब भी हो गया।

 अब धीरे धीरे यह बात सामने आ रही है कि दरअसल यह चीन का इनफार्मेशन स्ट्रेटजी का परिणाम था कि वह सफलता पूर्वक इस सूचना अभियान को चला दिया कि चीन की सरकार ने अपने मजबूत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और स्ट्रीक्ट लाॅक डाउन से यह चमत्कार कर दिखाया। चीन के इनफार्मेशन वारियर्स ने चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग को कोविड 19 से लड़ने वाले एक महानायक के रूप में पेश किया। अब जो भी देश चीन की तरफ आंख उठा कर देखता है चीन उसे यही मिसाल देता है कि कोविड 19 से लड़ने में विफल देश अपनी जनता का ध्यान भटकाने के लिए चीन पर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं।

चीन ने कोविड 19 के मामले में अपना नैरेटिव बिल्ड करने के लिए बहुत बड़ा अभियान चलाया। इस अभियान का नेतृत्व खुद प्रेसिडेंट शी जिनपिंग ने किया। मदद के नाम पर बहुत सी सामग्री कुछ देशों को देकर उन्हें चीन के खिलाफ अमेरिकी कैंपेन से अलग करने में सफलता भी प्राप्त की।

 दक्षिण एशिया में पाकिस्तान तो पहले से चीन की थाली में खाता रहा है, अब जिनपिंग ने नेपाल और बांग्लादेश को भी अपने पक्ष में कर लिया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को खुद जिनपिंग ने फोन किया। चीन ने कोविड19 के लिए नेपाल को सहायता भिजवाकर भारत से नेपाल की दुश्मनी का माहौल तैयार कर दिया।

चीन के अधिकतर अधिकारी या नेता अपनी भाषा में ही ट्वीट करते थे, लेकिन उन्होंने इस इनफार्मेशन वार की ग्लोबल रीच के लिए अंग्रेजी का सहारा भी लेना शुरू कर दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ही अंग्रेजी में ट्वीट किया था – हालांकि अमेरिका ने इस पर कड़ा ऐतराज किया ,चीनी अम्बैसेडर को बुलकार अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई, लेकिन तब तक तो दुनिया भर के देशों में यह खबर फैल गई कि कोविड19 के लिए अमेरिका जिम्मेदार है। बेचारे ट्रंप यह कहते रहे कि चीन को यह मालूम है कि यह वायरस कहां से आया। पर अमेरिका पर उंगली तो उठ ही गई।

चीन अब भारत के साथ भी उसी इनफार्मेशन वार में जुटा है। लद्दाख में भी अपनी घुसपैठ या विवाद के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराने में लगा है। कभी वह यह संदेश देता है कि सब कुछ ठीक है, तो कभी वह अपनी मिलिट्री माइट की खबरें बाहर कर भारत को डराने की कोशिश करता है।

 अभी हाल ही में चीन के एक डिप्लोमेट ने यह बयान देकर सनसनी फैला दी कि  कश्मीर से धारा 370 हटाने और लद्दाख को एक केंद्रशासित प्रदेश बनाने के कारण चीन नाराज हुआ और अपनी सेना वहां भेजी।

चीन के सूचना तंत्र लगातार भारत के बारे में तरह तरह की राय लोगों की चर्चा के लिए भेज रहे हैं। चीन अपने उसी संचार तंत्र के जरिए दुनिया को बताना चाहता है कि भारत में इतनी क्षमता नहीं कि वह  विदेशी कंपनियों के लिए चीन का विकल्प बन सके। भारत सतर्क है।

 दुनिया में हमसे ज्यादा सो शल मीडिया पर एक्टिव लोग कहीं नहीं हैं । हमारे देश में इंटरनेट यूज करने वाले लोगों की संख्या लगभग 68 करोड़ है। इनमें से 35 करोड़ लोग सोशल साइट्स से जुड़े हुए हैं। पूरी दुनिया में सबसे अधिक व्हाटसैप और टिकटाॅक ऐप चलाने वाले लोग भारत में ही हैं। अभी कुछ दिन पहले हमारे राजस्थान की एक संस्था वन टच एैपलैब्स ने एक ऐप बनाकर तहलका मचा दिया था। रिमूव चाइनीज ऐप में चीन द्वारा विकसित सारे ऐप की जानकारी थी जिसे यूजर्स चाहे तो एक क्लिक से डिलीट कर सकते थे। चीन की सरकार तक उस ऐप से हिल गई, कारण एक सप्ताह में 40 लाख से ज्यादा बार वह ऐप डाउनलोड हो चुका था, लगभग दो लाख उसके रिव्यू आ गए थे। अचानक गुगल प्ले स्टोर ने उस ऐप को अपने प्लेटफार्म से हटा दिया। चीन के मीडिया ने इसे टेक्नोलॉजी के खिलाफ भारत का अभियान करार दिया था।

 

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