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फेल हुई इमरान की डिनर डिप्लोमैसी, अपनों ने भी दूरी बनाई

बजट पर टिका है पीटीआई सरकार का भविष्य

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मटन हांडी और पुलाव धरी रह गई, खाने वाले आए ही नहीं। जी हां इमरान खान ने फेडरल बजट पास करवाने के लिए अपने समर्थक सांसदों को 28 जून को एक डिनर पार्टी दी थी, लेकिन इस डिनर पार्टी सें इमरान की पार्टी पीटीआई को समर्थन दे रही कई पार्टियां दूर ही रहीं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इमरान की पार्टी के 15 से अधिक सांसद भी इमरान के बुलावे पर नहीं आएं।


पाकिस्तान के अंग्रेजी दैनिक डाॅन के अनुसार पीटीआई के 14 मेम्बर्स आॅफ नेशनल असेम्बली, पाकिस्तान मुस्लिम लीग क्यू, ब्लूचिस्तान नेशनल पार्टी और पाकिस्तान अवामी मुस्लिम लीग के लोग इमरान की डिनर पार्टी में नहीं आए। हालांकि इस डिनर पार्टी की सफलता के लिए इमरान सरकार के सभी प्रमुख मंत्री और पाकिस्तान नेशनल असेम्बली के स्पीकर असद कैसर ने खूब मेहनत की थी। लेकिन उनकी मेहनत पर अंत में पानी फिर गया।


इधर पाकिस्तान के सभी विपक्षी पार्टियों ने बजट को गिराने का ऐलान कर दिया है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग नून यानी पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी, पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी, जमायत उलेमा इस्लाम, अवामी नेशनल पार्टी, ब्लूचिस्तान नेशनल पार्टी -मेंगल, नेशनल पार्टी, कौमी वतन पार्टी और कई निर्दलीय एमएनए ने एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर इमरान के बजट को पूरी तरह से नकार दिया और दावा किया कि 29 जून को बजट पास कराने के लिए जब नेशनल असेम्बली में वोटिंग होगी तो वे उसके खिलाफ वोट करेंगे।

इमरान खान के लिए यह खतरे की घंटी है, क्योंकि उनको समर्थन देने वाली ब्लूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेगल पहले ही पीटीआई सरकार को जारी अपना समर्थन 17 जून को ही वापस ले चुकी है, उसके बाद अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या पीटीआई को अब भी बहुमत प्राप्त है। यदि इमरान खान अपना बजट बहुमत पास करा ले जाते हैं तो फिर यह सवाल तत्काल तो दब जाएगा, किंतु जिस तरह से पाकिस्तान की राजनीति में इमरान खान को लेकर असंतोष पनप रहा है, उनकी पार्टी पीटीआई में ही धड़ेबाजी चल रही है, उससे तो यह सरकार पांच साल का समय पूरा करती दिखाई नहीं दे रही है।
पाकिस्तान में यदि विपक्ष संयुक्त मोर्चा बना लेता है और आजाद असेम्बली सदस्यों का भी उन्हें समर्थन मिल जाता है तो इमरान खान का जाना तय हो सकता है। डाॅन के अनुसार अपनी डिनर पार्टी में हालांकि इमरान खान ने यह ऐलान किया कि उनकी सरकार कहीं नहीं जाती, लेकिन उसी पार्टी में उन्हें अलग अलग पार्टियों को मनाते भी देखा गया।


पाकिस्तान में विपक्ष इस समय पूरी तरह हमलावर है। कोरोना को जिस तरह से इमरान सरकार ने हैंडिल किया उससे पूरे विश्व में पाकिस्तान का मजाक बन गया। पीपीपी के नेता बिलावल भुट्टों का कहना है कि कोरोना महामारी से पहले इमरान खान पाकिस्तान की डेमोक्रेसी और इकोनोमी के लिए ही खतरा थे अब तो वे लोगों की जान के लिए भी खतरा बन गए हैं।
पाकिस्तान की जनता और वहां के व्यापारी भी इमरान खान की हुकूमत से आजिज आ चुके हैं। लगभग दो साल के इमरान के कार्यकाल में पाकिस्तान ने जबर्दस्त महंगाई देखी है। बाजार से कभी आटा गायब हो गया तो कभी चीनी तो कभी पेट्रोल डीजल। अब तो पाकिस्तानी आवाम भी कह रही है कि देश चलाना इमरान खान के बूते की बात नहीं।

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