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हांगकांग को दिए विशेष दर्जा वापस , चीन जवाबी कार्रवाई करेगा।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हांगकांग को दिए विशेष दर्जा वापस ले लिया है। ट्रंप ने इस आशय का आर्डर जारी कर दिया है। अब हांगकांग के साथ अमेरिका वैसा ही व्यापारिक रिश्ता रखेगा जैसा वह चीन के साथ रखता है। इसके अलावा अमेरिका ने हांगकांग मंे तैनात चीन के उन अधिकारियों के खिलाफ भी प्रतिबंध लगा दिया है, जो लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों का दमन कर रहे हैं। चीन ने अमेरिका के इस कदम को अपने आंतरिक मामलों में दखल मानते हुए ऐलान किया है वह भी जल्द ही जवाबी कार्रवाई करेगा।


जब से चीन ने हांगकांग में नेशनल सिक्योरिटी लाॅ को लागू किया है तब से लगातार हांगकांग को मिली विशेष आर्थिक पहचान पर कोई न कोई आघात हो ही रहा है। अमेरिका से पहले ब्रिटेन, कनाडा और आस्ट्रेलिया भी इस संबंध में चीन को झटके दे चुके हैं। ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया अपने यहां हांगकांग के लोगों को लंबी अवधि के वीजा देने और वहां नौकरी एवं व्यापार करने की छूट देने की बात कह चुके हैं। अब अमेरिका ने भी हांगकांग को मिले खास आर्थिक दर्जा को समाप्त कर दिया है।


हांगकांग को यह विशेष दर्जा 1997 से ही प्राप्त है जब ब्रिटेन ने हांगकांग को 1984 के समझौते के तहत चीन को सौंप दिया था। इस समझौते के तहत चीन को वन नेशन टू सिस्टम के तहत हांगकांग का प्रशासन संभालना था, जहां हांगकांग अपनी स्वायत्तता और सीमित स्वतंत्रता प्राप्त थी। लेकिन 1 जुलाई को चीन ने हांगकांग में नेशनल सिक्योरिटी लाॅ को लागू कर दिया। जिसके तहत चीन अब हांगकांग में डायरेक्ट मेनलैंड से शासन करेगा और हांगकांग में सरकार विरोधी प्रदर्शन ,तोड़ फोड़ या अलगाववाद के लिए आरोपियों पर मुकदमा चलाकर तीन साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा भी सुना सकेगा।
14 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस के रोजगार्डेन में यह एलान किया कि उन्होंने हांगकांग के प्रिफिरेंसियल ट्रीटेमेंट को रदद कर दिया। उन्होंने कहा – ना तो हांगकांग को विशेष दर्जा प्राप्ता होगा, न उसके साथ कोई आर्थिक रियायत बरती जाएगी और ना संवेदनशील टेक्नोलाॅजी का निर्यात ही किया जाएगा। इसके पहले अमेरिकी कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को मंजूरी पिछले महीने ही दे दी थी।

इधर चीन ने भी यह धमकी दी है कि अमेरिका के इस कदम का वह माकूल जवाब देगा। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने   प्रेसिडेंटशनल आर्डर पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि अमेरिका का यह कदम अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मानदंडों के खिलाफ है। चीन की सरकार इसकी कड़ी आलोचना करती है। जल्दी ही चीन इस मामले में अपने रूख को बारे में खुलासा करेगा। संभव है कि चीन भी कुछ और अमेरिकी राजनयिकों व अधिकारियों को प्रतिबंध लगाए।
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