25 जुलाई को इमरान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में दो साल पूरे कर लिए। ‘नया पाकिस्तान’ के नारे से सत्ता में आए इमरान नियाजी खान ने अपने दो साल के कार्यकाल में अवाम को इतना निराष कर दिया है कि लोग अब पाकिस्तान तेहरिक ए इंसाफ के शासन से छुटकारा पाने की दुआ करने लगे हैं। पाकिस्तान के प्रमुख टीवी चैनल दुनिया न्यूज़ ने 27 जुलाई को चार बड़े शहरों, जिसमें लाहौर, इस्लामाबाद, कराची और पेशावर हैं ,में सर्वे कराया था, इन सभी सर्वे में लोगों की यही राय थी कि इमरान की सरकार जानी चाहिए।
![]() डाॅन ने भी इमरान सरकार के दो साल के कार्यकाल पूरे होने पर समीक्षा छापी है। यूसी बर्कले में काम कर रहे पाॅलिसी एनालिसिस करने वाले मुर्तज़ा नियाज ने डाॅन अखबार में लिखे एक लेख में कहा है – पीटीआई का रिकार्ड उसी तरह खराब है जिस तरह पूर्ववर्ती सरकारों का रहा है। मुर्तज़ा ने इमरान सरकार को जनता को दी सहुलियतें, परियोजना, नीतियाँ, नये कानून और संस्थागत सुधार के पैमाने पर कसा है और सीधा यह निष्कर्ष निकाला है कि इमरान की टीम आपस में लड़ने वाले, अयोग्य और तमाम ग़लतियाँ करने वालों लोगों से भरी पड़ी है। ![]() इमरान सरकार के अंदर ही इन बाहरी लोगों को लेकर भारी अंसतोष है। कैबिनेट के अंदर अक्सर ही गरमा गरम टकराव चलती रहती है। एक दिन तो साइंस एंड टेक्नोलाॅजी मंत्री फव्वाज चौधरी ने एक मीडिया को इंटरव्यू देकर सबकी पोल खोल दी। उन्होंने यहां तक कह दिया किय दो साल में इमरान सरकार का प्रदर्शन ठीक नहीं है। कोई काम हो ही नहीं रहा। बाद में इमरान ने फव्वाज चौधरी को डांट लगाई और गैर निर्वाचित लोगों से माफी मांगने की भी मुतालबा कर दी।
इमरान खान ने दो साल पहले चुनाव इस मुद्दे पर लड़ा था कि पाकिस्तान को करप्शन फ्री कर देंगे और जो लोग मुल्क से पैसे लेकर बाहर गए हैं, सबको जेल में डाल कर पैसे वसूल कर देंगे। इस मुद्दे पर इमरान न सिर्फ फेल हुए, बल्कि विपक्ष के पास उनकी ही सरकार के करप्शन का तमाम मामला पहुंच गया। हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, उनके भाई शाहबाज शरीफ उनके बेटे हमजा शरीफ, पीएमएनएल के ही नेता और पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खक्कान अब्बासी को वहां के नेशनल अकाउंटेंसी ब्यूरो यानी नैब ने अलग अलग केसों में जेल में डाल तो दिया, लेकिन बारी बारी से सब बाहर आ गए और किसी पर कोई भी करप्शन का चार्ज कोर्ट में टिक नहीं पाया। उल्टे पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नैब और इमरान सरकार पर ही यह गहरी टिप्पणी कर दी कि नैब ना सिर्फ विरोधियों को फंसाने का इदारा (डिपार्टमेंट) बन गया है, बल्कि यह सरकार के लिए लोगों कोे पाला बदलवाने का भी काम कर रहा है।
![]() इमरान जिस मीडिया की बदौलत सरकार में आए, उस मीडिया की हालत इस समय सबसे खराब है। जो भी मीडिया हाउस या पत्रकार पाकिस्तान की मिलिट्री या इमरान सरकार के खिलाफ कुछ भी बोलता या लिखता है, उसके खिलाफ सरकार पड़ जाती है। दर्जनों पत्रकारों की नौकरियाँ चली गई, कुछ को जेल भेज दिया गया है। हद तो यह हो गई कि अभी दो हफ्ते पहले ही इस्लाबाद में एक पत्रकार मुतिउल्लाह जान को दिन में ही पाकिस्तान की पुलिस गई अगवा कर अज्ञात जहग ले गई । उनके हाथ बांध दिए गए थे। आंखांे पर पट्टी बांध दी गई थी। जब मामला गरम हुआ, इस्लामाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इसका संज्ञान लिया तब जाकर उनकी रिहाई की गई।
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