National Politics

तो क्या शिवराज मध्यप्रदेश को कश्मीर बनाना चाहते हैं!

सभी जानते हैं कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री नौसिखिए नेता नहीं है। उन्हें चौथी बार मुख्यमंत्री का पद मिला है। जाहिर है कि प्रदेश और देश के कानून से वह भलिभांति परिचित हैं । फिर उन्होंने कैसे मध्यप्रदेश को कश्मीर बनाने की भूल कर दी। उनका  बयान कि मध्यप्रदेश की शासकीय नौकरियाँ अब सिर्फ मध्यप्रदेश के युवाओं को दी जाएगी।

मध्यप्रदेश के संसाधन सिर्फ मध्यप्रदेश के बच्चों के लिए है, क्या कहते हैं। यही ना जो धारा 370 वाला कश्मीर कहता था।बिना सोचे समझे बयान देने का क्या हश्र होता है, और उसकी प्रतिक्रिया कितनी भयानक हो सकती है, किसी को देखना हो तो पाकिस्तान के अखबारों में देखे।

महबूबा मुफ्ती के ट्वीट में देखे। किस तरह वे कश्मीर में स्थानीय नागरिकों के पहले के अधिकार से जोड़कर शिवराज के बयान को देख रहे हैं। उनके इस तर्क में क्या कमी है कि यदि भाजपा मध्यप्रदेश की नौकरियाँ और संसाधनों पर सिर्फ मध्यप्रदेश के लोगों का हक मानती है तो कश्मीर के इस हक से वंचित क्यों किया गया। भाजपा के लिए एक पाप वाला यह बयान है।


जिस भाजपा की केंद्र सरकार को अनुुच्छेेद 370 को हटाने और वहां देश के सभी नागरिकों के लिए अवसर बनाने को ऐतिहासिक कदम माना गया था वहीं भाजपा अपने एक प्रदेश में एक ऐसा कानून लाने की बात कर रही है जिसके लागू होने के बाद अपने ही देश के लोगों का अधिकार एक राज्य में नौकरी करने या वहां के संसाधन के इस्तेमाल करने पर समाप्त कर दिया जाएगा। ऐसी बात करने वाले भाजपा के नेता फिर किस आधार पर राष्ट्रवाद की बात कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री हों या फिर गृह मंत्री, उन्होंने शिवराज सिंह की बात जरूर सुनी होगी। यदि समय रहते शिवराज सिंह से माफी ना मंगाई गई, या उनके इस बयान का ज़ोरदार खंडन नहीं किया गया तो भाजपा के लिए यह बयान बहुत ही हानिकारक सिद्ध होगा। एक भारत, श्रेष्ठ भारत का प्रधानमंत्री मोदी का नारा खोखला साबित होगा। फिर शिवराज सिंह किसी प्रदेश में जा नहीं पाएंगे। वहां कोई चुनावी सभा संबोधित नहीं कर पाएंगे। और हां किसी भी भाजपा नेता के लिए शिवराज के इस बयान का बचाव करना मुश्किल हो जाएगा।

विक्रम उपाध्याय

 

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